Attacks in Childhood: बचपन में हार्ट अटैक के बढ़ते मामले क्या खतरे की घंटी बज चुकी है

Attacks in Childhood: अब हार्ट अटैक सिर्फ बड़ों की बीमारी नहीं रहा हर कोई यही मानता है कि हार्ट अटैक एक उम्रदराज लोगों की बीमारी है, जो आमतौर पर 40 या 50 की उम्र के बाद ही देखने को मिलती है। लेकिन अब यह ...

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Attacks in Childhood: बचपन में हार्ट अटैक के बढ़ते मामले क्या खतरे की घंटी बज चुकी है

Attacks in Childhood: अब हार्ट अटैक सिर्फ बड़ों की बीमारी नहीं रहा हर कोई यही मानता है कि हार्ट अटैक एक उम्रदराज लोगों की बीमारी है, जो आमतौर पर 40 या 50 की उम्र के बाद ही देखने को मिलती है। लेकिन अब यह गंभीर बीमारी बच्चों तक पहुंच चुकी है। भारत में हाल ही में सामने आई घटनाएं इस सच्चाई को उजागर करती हैं।

देशभर में बढ़ते चौंकाने वाले मामले

राजस्थान से लेकर मुंबई तक, पांच से 14 साल के बच्चों में हार्ट अटैक के मामले देखने को मिल रहे हैं, जो किसी भी पैरेंट्स के लिए डराने वाले हैं। इंडियन हार्ट जर्नल 2021 की एक स्टडी के अनुसार दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 5 से 15 साल के बच्चों में कार्डियक अरेस्ट के केस लगातार बढ़ रहे हैं।

राजस्थान की 9 साल की बच्ची का दिल दो बार धड़का 

हाल ही में राजस्थान के सीकर में एक 9 साल की बच्ची को एक नहीं, बल्कि दो बार कार्डियक अरेस्ट आया। बच्ची का दिल बार-बार दहलता रहा और अंत में उसकी सांसें हमेशा के लिए थम गईं।

चौंकाने वाले आंकड़े

एक अनुमान के मुताबिक हर 1 लाख बच्चों में से 1 से 3 को हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट होता है। लेकिन पिछले 7 महीनों में इन मामलों में तेज़ी से वृद्धि दर्ज की गई है।

स्कूल में फिजिकल एक्टिविटी के दौरान भी हो रहे अटैक

पुणे के डीवाई पाटिल मेडिकल कॉलेज की 2023 की एक रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चों में अचानक मृत्यु के 7 में से 4 मामले हार्ट अटैक की वजह से हुए। इनमें से 3 मामलों में बच्चों को स्कूल में फिजिकल एक्टिविटी के दौरान अटैक आया था।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने जताई चिंता

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार 6 से 18 साल की उम्र के करीब 2000 बच्चों की हर साल अचानक कार्डियक अरेस्ट से मौत होती है। यह आंकड़ा अपने आप में चौंकाने वाला है।

बचपन में हार्ट अटैक के पीछे क्या हो सकते हैं कारण?

बचपन में हार्ट डिजीज असामान्य मानी जाती है, फिर भी अचानक कार्डियक अरेस्ट हो रहा है। इसके पीछे कई संभावित कारण हैं। कुछ बच्चों को जन्म से ही दिल की नसों में कॉन्ट्रक्शन या छेद जैसी हार्ट डिफेक्ट प्रॉब्लम होती है, जो बिना किसी लक्षण के रहती है और एकाएक अटैक ला सकती है।

कोविड के बाद नई बीमारियों से बढ़ा खतरा

कोरोना के बाद बच्चों में मल्टी सिस्टम इनफ्लेमेटरी सिंड्रोम जैसी बीमारियों ने भी दिल की मांसपेशियों में सूजन पैदा की है, जो हार्ट फेलियर का कारण बन सकती है।

जंक फूड, मोबाइल और स्ट्रेस तीनों का मिलाजुला असर

आज के दौर में बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई है, लेकिन जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक, ट्रांस फैट और शुगर का सेवन बढ़ गया है। इससे मोटापा, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं बचपन से ही शुरू हो रही हैं।

बच्चों को तनाव ने भी नहीं छोड़ा

स्कूल का तनाव, मोबाइल की लत और नींद की कमी भी हार्मोनल इमबैलेंस पैदा कर रही हैं, जिससे बच्चों के दिल पर अतिरिक्त दबाव बनता है। यही तनाव हार्ट अटैक जैसी घटनाओं का कारण बन रहा है।

पैरेंट्स के लिए चेतावनी है ये बदलता दौर

बदलते वक्त के साथ यह खतरा कितना गंभीर हो चुका है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब माता-पिता के लिए बच्चों की सेहत को लेकर सतर्क रहना पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है

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